धर्म

पौष अमावस्या पर बन रहा यह दुर्लभ संयोग, न चूकें ये मौका, आपकी उन्नति में होगी बढ़ोत्तरी!

पौष अमावस्या इस साल की अंतिम अमावस्या है. पौष माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को पौष अमावस्या मनाई जाती है. इस बार पौष अमावस्या के दिन ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसमें आप जो भी कार्य करेंगे, उसके फल में बढ़ोत्तरी ही होनी है. इस दिन पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण से मुक्ति के उपाय करते हैं. इस दिन आप पवित्र नदियों में स्नान करें और उसके बाद दान, पूजा पाठ करके पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि पौष अमावस्या कब है? पौष अमावस्या पर कौन सा दुर्लभ संयोग बन रहा है? उसका प्रभाव क्या होता है? पौष अमावस्या पर क्या करना चाहिए?

कब है पौष अमावस्या 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष अमावस्या 30 दिसंबर दिन सोमवार को है. पौष अमावस्या की तिथि 30 दिसंबर को प्रात: 4 बजकर 1 मिनट से शुरू होकर 31 दिसंबर को तड़के 3 बजकर 56 पर खत्म होगी. पौष अमावस्या का सूर्योदय 30 दिसंबर को सुबह 07:13 ए एम पर होगा.

दुर्लभ संयोग में पौष अमावस्या 2024
30 दिसंबर को पौष अमावस्या के अवसर पर सोमवार दिन और वृद्धि योग का दुर्लभ योग बन रहा है. सोमवार होने से यह सोमवती अमावस्या है, जिसमें शिव और शक्ति की कृपा प्राप्त होती है. उस दिन वृद्धि योग प्रात:काल से रात 8 बजकर 32 मिनट तक है. वृद्धि योग शुभ योगों में से एक है. इस योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसमें सफलता प्राप्त होगी और उसके फल में बढ़ोत्तरी ही होनी है.

वृद्धि योग का महत्व
इस योग के नाम से ही आप जान सकते हैं कि यह वृद्धि करने वाला योग है. वृद्धि योग में आप जो भी काम करेंगे, वह बिना किसी विघ्न और बाधा के सफल होगा. वृद्धि योग में कोई भी नया कार्य या बिजनेस शुरू करना उत्तम होता है क्योंकि उसमें सफलता मिलती है और उसमें हमेशा बढ़ोत्तरी होती है.

पौष अमावस्या पर वृद्धि योग क्यों है विशेष?
1. पौष अमावस्या के दिन वृद्धि योग में आप अपने पितरों के लिए तर्पण करेंगे, पिंडदान या श्राद्ध कर्म करेंगे तो वे तृप्त होंगे. उससे मिलने वाले पुण्य और आशीर्वाद में बढ़ोत्तरी होगी. यह आपके उन्नति में सहायक होगा.

2. पौष अमावस्या पर वृद्धि योग में दान करने से पितर, देव और ऋषि तीनों ही प्रसन्न होंगे. आपके पुण्य फल में बढ़ोत्तरी होगी. जो भी सदकर्म करेंगे, उसका फल आपको बढ़कर ही प्राप्त होगा. अन्न और वस्त्र का दान आपको पितृ, ऋषि और देव तीनों ऋणों से मुक्ति प्रदान कर देगा.

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