मध्यप्रदेशराज्य

मप्र में जन विश्वास बिल लागू करने की तैयारी

भोपाल। मप्र में उद्योग-धंधों को फियरलेस बनाने के लिए जन विश्वास बिल लागू करने की तैयारी की जा रही है। इस बिल के लागू किए जाने से कारोबारी आसानी से व्यवसाय कर पाएंगे। गौरतलब है कि 2023 में जन विश्वास बिल को मंजूरी दी गई थी। इस विधेयक ने कई अपराधों में जेल की सजा को खत्म कर दिया है। व्यापार में बदलाव के लिहाज से इस बिल को काफी अहम माना जा रहा है। मप्र में सरकार इस बिल को लागू करने की तैयारी कर रही है। दरअसल, प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने और नियम-कानूनों के उल्लंघन पर जेल के डर को दूर करने जन विश्वास बिल लागू करने की तैयारी है। कई मामलों में जेल की सजा खत्म या कम हो जाएगी। पेनल्टी बढ़ जाएगी। शासन के निर्देश पर विभिन्न विभागों जैसे उद्योग, नगरीय विकास, राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य आदि से संबंधित कानूनों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा है। आसान शब्दों में कहे तो, यदि कोई व्यक्ति अनजाने में कोई कृत्य करता है और उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हो जाते हैं और लोगों को जेल की सजा तक होती थी, उन्हें अब अपराध नहीं माना जाएगा और उनमें मिलने वाली सजा कम या खत्म कर दी जाएगी। पहले जिन गड़बड़ी को अपराध की श्रेणी रखा गया था वो अब जुर्माने तक सीमित हो जाएंगे।

नियम तोडऩे पर जेल का डर होगा कम
जन विश्वास बिल लागू होने से कई मामलों में जेल की सजा खत्म या कम हो जाएगी। पेनल्टी बढ़ जाएगी। बिल में साफतौर पर कहा गया कि देश के लोग सरकार और अलग-अलग संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतंत्र का आधार है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि जन विश्वास बिल क्या है और इसके तहत किन कानूनों में अपराध के प्रावधान को हटाया गया या कम किया गया है। साथ ही, बताएंगे कि इसके पीछे क्या कारण है। शासन के निर्देश पर विभिन्न विभागों जैसे उद्योग, नगरीय विकास, राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य आदि से संबंधित कानूनों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा है। अधिनियमों में फाइन या जुर्माने की जगह पेनल्टी या दंड शब्द लिखा जा रहा है। पेनल्टी जहां बहुत कम है वहां बढ़ाई जाएगी। फिलहाल विभागीय स्तर पर मंथन चल रहा है कि कहां पेनल्टी बढ़ाई जानी है और कहां जेल की सजा हटाकर महज पेनल्टी का प्रावधान किया जाना है। यह भी तय किया जाएगा कि सजा की डिग्री और प्रकृति अपराध की गंभीरता से कम न हो। ज्ञात रहे कि संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2023 में पारित हो चुका है। 19 मंत्रालयों से संबंधित 42 कानूनों के 183 प्रावधानों में बदलाव किया जा रहा है। कई अपराधों को जुर्माने तक सीमित कर दिया जाएगा तो कई मामलों में सजा खत्म कर दी जाएगी। राज्य सरकार भी अपने कानूनों के प्रावधानों में बदलाव कर रही है। जल्द ही विधानसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जा सकता है।

बढ़ेगा जुर्माना और अर्थदंड
जन विश्वास बिल लागू होने से जेल की जगह जुर्माना और अर्थदंड बढ़ेगा। नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने विभाग के अधिनियमों में फाइन की जगह पेनल्टी शब्द जोडऩे के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों ने 40 स्थानों पर बदलाव कर दिया है। बताया गया है कि फाइन केवल कोर्ट ही सभी पक्षों की सुनवाई के बाद लगा सकता है, जबकि पेनल्टी विभिन्न सरकारी एजेंसियां वसूल सकती हैं। पेनल्टी बढ़ाने के संबंध में अभी विभागीय अधिकारी विचार कर रहे हैं। उद्योग, एमएसएमई आदि विभागों में भी पीएस राघवेन्द्र सिंह के निर्देश पर ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं। बिल के तहत कुछ कानूनी प्रावधानों में कारावास की सजा की अवधि कम की जाएगी। कारावास को हटाकर सिर्फ जुर्माना रखा जाएगा या जुर्माना बढ़ाया जाएगा। कुछ प्रावधानों में कारावास और जुर्माने को दंड में बदला जाएगा। जन विश्वास बिल का मुख्य उद्देश्य उद्योग और व्यापार प्रणाली में सहजता लाना यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है। व्यापार करने के लिए कई विभागों से लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन आदि लेना होता है। कानूनों, नियमों का पालन करना होता है। उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगता है। कई मामलों में जेल भी हो जाती है। देश में 1536 कानून हैं। इसमें 70 हजार प्रावधान हैं। कई नियम एमएसएमई सेक्टर के विकास में बाधा बनते हैं। अभी अगर कोई फैक्ट्री संचालक अनजाने में गलत जगह डिस्चार्ज करता है तो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 7 और 9 के तहत पांच साल जेल, एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान है। बदलाव के बाद जेल का प्रावधान हटाने और जुर्माना राशि 15 लाख करने का प्रावधान है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालों को छह माह तक जेल और एक लाख तक जुमनि का प्रावधान है। कानून में बदलाव के बाद अनसेफ फूड की बिक्री पर तीन माह से ज्यादा की जेल नहीं होगी. लेकिन जुर्माना तीन लाख लगेगा।

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